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कारपोरेट उत्तरोत्तर रूप से भारत में आर्थिक और व्यापारिक कार्यकलापों का प्रतिमान बनते जा रहे हैं। वस्तुत भारत में कंपनियों की संख्या में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है।
इसका एक अन्य कारण यह भी है कि विगत कुछ वर्षों में हुए असाधारण आर्थिक विकास की वजह से भारत अंतर्राष्ट्रीय निवेश का पसंदीदा केन्द्र बन गया है। भारत के ब्रांड इक्विटी निर्माण में तेज़ी से विकसित होते कारपोरेट क्षेत्र का मुख्य योगदान है।
इसे देखते हुए, एक ऐसा कानूनी ढांचा आवश्यक है जो निवेश तथा विकास के लिए सकारात्मक परिवेश को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करे कि भारतीय कारपोरेट क्षेत्र वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के माहौल में कार्य कर सके। इस ढांचे को निर्धारित करने वाले कानून संक्षिप्त और स्पष्ट तथा समझने में आसान होने चाहिए ताकि नियामक संस्थान आज के निरंतर गतिशील व्यापार मॉडलों तथा आर्थिक परिवेशों की अपेक्षाओं को शीघ्र तथा प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
इसके लिए कारपोरेट कार्य मंत्रालय को सभी पक्षकारों को सहयोग देना है और कारपोरेट के नियमन, विकास तथा प्रगति के लिए उनकी बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाना है।
इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने निम्नलिखित कार्यनीति योजना (स्ट्रैटेजिक प्लान) तैयार की है।
पूरा दस्तावेज़ पढें : कारपोरेट कार्य मंत्रालय की कार्यनीति योजना (881KB)